हिंदी साहित्य का काल विभाजन

मिश्रबन्धुओं ने अपने 'मिश्न बन्धु विनोद' (1913) में काल-विभाजन का नया प्रयास किया जो प्रत्येक दृष्टि से ग्रीयर्सन  के प्रयास से बहुत अधिक प्रौढ़ एवं विकसित कहा जा सकता है। इनका विभाजन इस प्रकार है-

1.आरम्भिक काल / पूर्वारम्भिक काल(600-1343वि.

उत्तरारम्भिक काल(1344-1444वि.)

2. माध्यमिक काल /पूर्व माध्यमिक काल (1445-1560 वि

प्रौढ़ माध्यमिक काल (1561-1580 वि.)

3.अलंकृत काल /पूर्वालंकृत काल (1681-1790 वि.)

उत्तरालंकृत काल (1791-1889 वि.)

4. परिवर्तन काल (1890-1925 वि.)

5. वर्तमान काल (1926 वि. से अब तक)

मिश्र बन्धुओ के पश्चात् आचार्य रामचन्द्र शुक्लजी ने सन् 1929 में 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' प्रस्तुत करते हुए काल-विभाजन का नया प्रयास किया। इनके काल-विभाजन में अधिक सरलता, स्पष्टता एवं सुबोधता है।उनका काल-विभाजन इसप्रकार है -

1. आदिकाल या (वीरगाथा काल) संवत् 1050 से 1375

2. पूर्व मध्यकाल या (भक्तिकाल) संवत् 1375 से 1700

3. उत्तर मध्यकाल या (रीतिकल) संवत् 1700 ते 1900

4. आधुनिक काल या (गद्यकाल) संवत् 1900 से अब तक।

आ. शुक्लजी के पश्चात् डॉ. रामकुमार वर्मा ने काल विभाजन प्रस्तुत किया जो इसप्रकार है -

1.सन्धिकाल (750-100 वि.)

2.चारण काल (1000-1375 वि.)

3.भक्तिकाल (1375-1700 वि.)

4.रीतिकाल (1700-1900 वि.)

5.आधुनिक काल (1900 से अब तक)


बाबू श्यामसुन्दर दास के काल-विभाजन इस प्रकार है- 


1. आदिकाल (वीरगाथा का युग संवत् 1000 से संवत् 1400 तक)

2. पूर्व मध्ययुग (भक्ति का युन, संवत् 1400 से संवत् 1700 तक)

3. उत्तर मध्ययुग(रीति ग्रन्थों का युग, संवत् 1700 से, संवत् 1900 तक)

4. नवीन विकास का युग (संवत् 1900 से अब तक)

गणपतिचन्द्र गुप्त ने अपने ग्रन्थ 'हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास' में उसका अनुमोदन किया है। उनका काल-विभाजन इसप्रकार है-

1. प्रारम्भिक काल (1184-1350 ई.)

2. पूर्व मध्यकाल (1350-1600 ई.)

3. उत्तर मध्यकाल (1600-1857 ई.)

4. आधुनिक काल (1857 ई. अब तक)

इस परम्परा में डॉ. नगेन्द्र का नाम भी उल्लेखनीय है। उन्होंने हिन्दी साहित्य का काल-

विभाजन तथा नामकरण इसप्रकार किया है-

1. आदिकाल 7 वीं शती के मध्य से 14 वीं शती के मध्य तक।

2. भक्तिकाल 14 वीं से 17 वीं तक

3. रीतिकाल 17 वीं शती के मध्य से 19 वीं शती के मध्य तक।

4. आधुनिक काल 19 वीं शती से अब तक।

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